Sunday 16 October 2011

खंडूड़ी के क्षेत्र में १० साल से नहीं बन पाई है सड़क

मित्रो! आप ही बताइए अब किससे करें फरियाद

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल (अब कोटद्वार) जिला स्थित कलीगाड़ तल्ला के लिए रिखणीखाल से जाने वाली सड़क आज दस साल बाद भी नहीं बन पाई है। जबकि इस क्षेत्र के विधायक राज्य के मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी ही हैं, जो देशभर में राष्ट्रीय राजमार्ग की  सड़कें  बनाने के लिए मशहूर रहे हैं।
जानने लायक यह है कि कलीगाड़ तल्ला उस महान हस्ती स्व. लीलादत्त लखेड़ा उर्फ भगत जी का गांव है जिन्होंने वर्ष १९३०-३५ के दौरान अपना सर्वस्व दान कर वीरोंखाल से चखुलियाखाल तक लगभग ७२ किमी खच्चर रोड बनवाई थी, इस रोड पर पड़ने वाली नदियों पर झूले भी बनाए गये थे। इलाके के लोगों ने भी जोरशोर से श्रमदान किया था। भगत जी के प्रयासों से इस मार्ग पर कई जगह धर्मशालाएं भी बनावाई थीं।
आज उसी महान हस्ती का गांव पहुंचने के लिए ढाबखाल से लगभग १० किमी पैदल जाना होता है। रिखणीखाल से होकर सिद्धखाल,चुरानी, कोटनाली होकर यह रोड़ कलीगाड़ पहुंचनी थी और फिर वहां से दुधारखाल से आ रही रोड पर मिलना था। इस रोड को बनाने का काम राज्य गठन के बाद दूसरे मुख्यमंत्री बने भगत सिंह कोश्यारी के कार्यकाल में शुरू हुआ था। आज भी १० साल पहले खुदी रोड के निशान दिख सकते हैं। कांग्रेस के विकास पुरुष कहलाने वाले नारायण दत्त तिवारी जब मुख्यमंत्री बने तो इस रोड का काम बंद कर दिया गया। तिवारी के कार्यकाल में इस रोड पर एक कुदाल तक नहीं चली।
पत्रकार होने के नाते मैंने इस रोड को बनवाने के लिए नारायट दत्त तिवारी की सरकार में लोक निर्माण मंत्री रही इंदिरा हृदयेश से बात की थी। उन्होंने  दिल्ली स्थित उत्तराखंड निवास से मेरे सामने राज्य के लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर से बात तो की, पर काम नहीं कराया। इसके बाद मैंने अपने क्षेत्र के विधायक व मुख्यमंत्री खंडूरी को निजी तौर पर पत्र भी दिया। यह पत्र १३.५०-२००५ को लिखा गया था, खंडूरी के हटने के बाद मुख्यमंत्री बने रमेश पोखरियाल निशंक से भी लिखित में सड़क बनवाने का अनुरोध किया लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा। अब समझ में नहीं आ रहा है कि खंडूरी से फिर के कहूं कि नहीं।
मित्रो, अब आप ही बताइए कि नेता लोग जनता का काम करने के लिए कैसे सुनते हैं।
----हरीश लखेड़ा
  नई दिल्ली, www.himalayilog.com
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